में गति करते है। भारी रिम
वाले पहिये की अपेक्षा भारी केन्द्र वाले पहिये का जड़त्व
आधूर्ण कम होता है।
दो पहिये जिनका द्रव्यमान बराबर हो परन्तु द्रव्यमान
वितरण भिन्न होने पर कोणीय संवेग के नियमानुसार भारी रिम
वाले पहिए की अपेक्षा भारी केन्द्र वाला पहिया तेज घूमता
है। |
7. घूर्णन का आनन्द (SPIN FUN)
क्रिया विधि : बीच के गोल प्लेटफार्म पर चढ़िए। हत्थे (हेण्डल)
को पकड़िये और बाहरी स्थिर प्लेटफार्म के सामने से अपने एक
पैर को धकेलते हुए अपने आपको घुमाइये। अन्दर की ओर झुकिए,
फिर इसके बाहर की ओर झुकिए और अन्तर देखिए। |
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सिध्दांत : एक घूमती हुई वस्तु में
कोणीय गति या समवेग होता है जो कि साधारणतया वस्तु के
आकार और घुमाव की गति पर निर्भर करता है। आदर्श स्थितियों
मे यह कोणीय समवेग स्थिर रहता है।
जैसे ही आप अन्दर की ओर झुकते हैं, हत्थे के सापेक्ष आपका
आकार घटता जाता है और उस क्षति को पूरा करने के लिये
घुमाव गति बढ़ जाती है। यदि आप बाहर की ओर झुकते हैं तो
परिणाम इसके विपरीत होता है। |
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8. न्यूटन का पालना (NEWTON'S
CRADLE)
क्रिया विधि : संयंत्र में रखे गेंदों के समूह में से
अंतिम एक गेंद को एक ओर खींचिए और फिर इसे नीचे जाने
दीजिए। फिर यही प्रयोग दो गेंदो के साथ दोहराइये। |
सिध्दांत : जब संयंत्र के अंतिम छोर
पर रखी गेंदों में से एक झूलती है और अपने साथ वाली गेंद
से टकराती है तो इसका सारा समवेग साथ वाली गेंद पर और
फिर उससे अगली गेंद पर स्थानांतरित होता जाता है। अन्त
में दूसरे छोर पर रखी गेंद टप्पा खाकर उछल पड़ती है। इसी
प्रकार यदि दो गेंदे झूलती है और दूसरों से टकराती है तो
दूसरे छोर पर रखी दो गेंदे उछल पड़ती है और यह क्रम चलता
रहता है। |
9. एकेन्द्रीय प्रतिबिम्बक
(PARABOLIC REFLECTORS)
या विधि : एक परावर्तक (प्रतिबिम्बक) के सामने लाल रंग
के छल्ले में से सीधे बात कीजिए जबकि आपका एक मित्र दूसरे
छल्ले (दूसरे परावर्तक के) से सुन रहा हो। सिध्दांत : लाल रंग के छल्ले
सम्बन्धित परावर्तक के फोकस बिन्दु हैं। जब ध्वनि तरंगों
को एक परावर्तक के फोकस बिन्दु पर उत्पन्न किया जाता है
तब ये सम्बन्धित परावर्तक से परावर्तित होकर सीधी
समानान्तर चलकर दूसरे परावर्तक से |
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टकराकर परावर्तित होकर
उसके फोकस बिन्दु पर केन्द्रित हो जाते हैं और इस फोकस
बिन्दु पर खड़े व्यक्ति को ध्वनि सुनाई देती है। |
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10. जियोडेसिक गुम्बद (GEODESIC
DOME)
क्रिया विधि : गुम्बद और इसकी संरचना को देखिए।
सिध्दांत : आप ध्यान से देखने पर पायेंगे कि यह त्रिभुजों
से बना एक अर्ध्दगोलाकार गुम्बद है। यह संरचना निम्न दो
सिध्दांतों पर आधारित है -
1.विभिन्न ज्यामितिय आकृतियों में
त्रिभुजाकार आकृति सर्वाधिक मजबूत होती है।
2. गोले का सतही क्षेत्र अन्य आकृतियों के |
सतह की अपेक्षा
सबसे कम होता है। इसलिये सबसे स्थायी होता है।
अत: त्रिभुजों से निर्मित गोलार्ध्द सबसे मजबूत संरचनाओं
में से एक है। |