विवेकानन्द मानव प्रकर्ष संस्थान

संस्थान का लक्ष्य एवं कार्ययोजना

विवेकानन्द मानव प्रकर्ष संस्थान

(1) संगोष्ठी, कार्यशाला तथा व्याख्यान का आयोजन

संस्थान द्वारा समय-समय पर स्वामी विवेकानन्द, धर्म, दर्शन, कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित सम-सामयिक विषयों पर संगोष्ठी, कार्यशाला, आध्यात्मिक शिविर तथा व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है।

(2) विवेकानन्द-ग्रंथालय का संचालन

संस्थान आधुनिक सुविधाओं से युक्त एक ग्रन्थालय संचालित करेगा, जिसमे स्वामी विवेकानन्द, धर्म-दर्शन, कला-संस्कृति आदि विषयों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध रहेगा। इसके साथ ही उक्त विषयों से सम्बन्धित शोध-पत्रिकाएँ तथा अन्य उच्चस्तरीय पत्रिकाएँ भी उपलब्ध रहेंगी। विवेकानन्द ग्रंथालय के संचालन से विद्यार्थियों एवं जन सामान्य में आत्मविश्वास की भावना का विकास होगा तथा वे उच्चतर जीवन मूल्यों को धारित करते हुए मानसिक और आध्यात्मिक प्रगति को प्राप्त कर सकेंगे।

(3) शिक्षकों का प्रशिक्षण

व्यक्ति और समाज के विकास में शिक्षकों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। विद्यार्थी, जो बाद में समाज के महत्त्वपूर्ण सदस्य बनते हैं, के जीवन में शिक्षक ही ज्ञान का आलोक फैलाते हैं। जिस रूप में विद्यार्थी शिक्षित होगा, समाज और राष्ट्र उसी दिशा में जाएगा। शिक्षक सामाजिक परिवर्तन के सूत्रधार होते हैं। इसलिए शिक्षकों का प्रशिक्षण विद्यार्थियों के प्रशिक्षण से भी पहले आवश्यक है। एक शिक्षक अपने जीवन में अनेक विद्यार्थियों के सम्पर्क में आता है। अतः यदि उच्चतर जीवन मूल्यों का प्रशिक्षण शिक्षकों को दिया जाए तो वह अपने जीवन में अनेक विद्यार्थियों को लाभान्वित कर सकता है। अतः शिक्षकों का प्रशिक्षण अत्यावश्यक है। संस्थान शिक्षकों के हेतु उपयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करेगा।

(4) अधिकारियों एवं व्यवसायिकों का प्रशिक्षण

स्वामी विवेकानन्द के सन्देशों की जीवन के विविध क्षेत्रों में उपयोगिता है। विभिन्न विभागों में कार्य कर रहे अधिकारियों को यदि स्वामी विवेकानन्द द्वारा प्रतिपादित सेवा का दर्शन, निष्काम कर्मयोग, राजयोग मन निग्रह, ध्यान तथा इसके साथ ही भारतीय प्रबन्धन, प्रेरणा और नेतृत्व आदि विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाए, तो वे निश्चित रूप से अपने कार्य को अधिक रुचि और कुशलता के साथ करने में समर्थ होंगे। उसी प्रकार से विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे व्यावसायिकों को भी उपरोक्त विषयों के प्रशिक्षण से बहुत अधिक लाभ मिल सकता है। संस्थान समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे अधिकारियों और व्यावसायिकों के लिए उपयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करेगा ।

(5) युवाओं का प्रशिक्षण एवं व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम

स्वामी विवेकानन्द युवाओं के आदर्श रहे हैं। उन्होंने सारे सन्देश युवाओं के लिए दिए। युवाओं को मनुष्य निर्माणकारी और चरित्र गठनकारी शिक्षा देने के पक्षपाती थे। वे युवकों के जीवन में आत्मविश्वास, मन की एकाग्रता, कार्यकुशलता, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास, सेवा तथा परोपकार की भावना आदि गुणों को समावेशित देखना चाहते थे। वे चाहते थे कि युवाओं का जीवन न्याय, प्रजातांत्रिक मूल्य, प्यार, सत्यवादिता और परदुःखकातरता आदि गुणों से युक्त रहे। ऐसे मूल्यों को युवाओं के जीवन में प्रभावशील बनाने के लिए तथा उनके व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आवश्यकता है। संस्थान द्वारा समय-समय पर ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएगें ।

( 6 ) संस्थान के द्वारा समय-समय पर अनुमोदित अन्य गतिविधियों का संचालन

संस्थान द्वारा स्वामी विवेकानन्द के मानव निर्माणकारी शिक्षा के प्रचार-प्रसार विषयक सम-सामयिक कार्यक्रम यथा-कम्प्यूटर, खेल कूद, क्राफ्ट, पेंटींग, व्यवसायी शिक्षण एवं अन्य सांस्कृतिक क्रिया कलापों आदि का संचालन किया जावेगा ।