स्वामी विवेकानंद
विवेकानन्द विद्यापीठ
रायपुर और स्वामी विवेकानन्द
रायपुर नगर स्वामी विवेकानन्द के जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि यहाँ स्वामी विवेकानन्द ने अपनी किशोरावस्था के दो महत्त्वपूर्ण वर्ष (1877-1879) व्यतीत किए थे। अपने जन्मस्थान कोलकाता के बाद स्वामी जी ने अपना सबसे अधिक समय जहाँ बिताया वह रायपुर ही है और यहाँ की जो स्मृतियाँ उन्होंने संचित की वे उन्हें जीवन भर प्रेरित करती रही ।अपनी रायपुर यात्रा में ही, जब वे 14 वर्षों के थे, उन्हें जीवन में पहली बार भाव-समाधि का अनुभव हुआ और वे असीम के आनन्द में डूब गए। इस रायपुर नगर ने ही किशोर नरेन्द्रनाथ दत्त (बाद में स्वामी विवेकानन्द) की देह को हृष्ट-पुष्ट तथा मन और बुद्धि को सबल और उन्नत किया एवं उनमें छिपी विलक्षण प्रतिभा के विभिन्न आयामों को स्नेह विकसित किया। इस प्रकार यह रायपुर नगर स्वामी विवेकानन्द के जीवन से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हो गया है ।
विवेकानन्द विद्यापीठ और शिकागो विश्वधर्म-महासभा शताब्दी वर्ष
वर्ष 1994-95 स्वामी विवेकानन्द के अनुयायियों, प्रेमियों और प्रशंसकों के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रहा है, क्योंकि इसी समय सारे विश्व में स्वामी विवेकानन्द का शिकागो विश्वधर्म-महासभा में योगदान का शताब्दी वर्ष अत्यन्त उत्साहपूर्वक मनाया गया।चूँकि रायपुर नगर का स्वामी विवेकानन्द के जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है अतरू यह निर्णय लिया गया कि रायपुर में शिकागो धर्म-महासभा शताब्दी वर्ष की स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए स्वामी विवेकानन्द के नाम से कोई स्मारक बनाया जाए। विवेकानन्द विद्यापीठ की स्थापना इसी परिप्रेक्ष्य में हुई है।