प्रस्तावना
विवेकानन्द विद्यापीठ
विवेकानन्द विद्यापीठ रायपुर रामकृष्ण-विवेकानन्द भावधारा के प्रचार और प्रसार के लिए तथा शिक्षा और संस्कृति के उन्नयन के लिए समर्पित एक पंजीकृत धमार्थ ट्रस्ट है। जिसका पंजीयन क्रमांक-187 दिनांक 03.11.1989 है। इसके साथ ही यह रामकृष्ण मिशन द्वारा संरक्षित मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ रामकृष्ण भावधारा प्रचार परिषद का एक सदस्य भी है।
रायपुर नगर स्वामी विवेकानन्द के जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि यहाँ स्वामी विवेकानन्द ने अपनी किशोरावस्था के दो महत्त्वपूर्ण वर्ष (1877-1879) व्यतीत किए थे। अपने जन्मस्थान कोलकाता के बाद स्वामी जी ने अपना सबसे अधिक समय जहाँ बिताया वह रायपुर ही है और यहाँ की जो स्मृतियाँ उन्होंने संचित की वे उन्हें जीवन भर प्रेरित करती रही। अपनी रायपुर यात्रा में ही, जब वे 14 वर्षों के थे, उन्हें जीवन में पहली बार भाव-समाधि का अनुभव हुआ और वे असीम के आनन्द में डूब गए। इस रायपुर नगर ने ही किशोर नरेन्द्रनाथ दत्त (बाद में स्वामी विवेकानन्द) की देह को हृष्ट-पुष्ट तथा मन और बुद्धि को सबल और उन्नत किया एवं उनमें छिपी विलक्षण प्रतिभा के विभिन्न आयामों को स्नेह विकसित किया। इस प्रकार यह रायपुर नगर स्वामी विवेकानन्द के जीवन से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हो गया है।
स्वामी जी के अनुयायिओं के द्वारा उनकी स्मृति में ट्रस्ट का गठन किया गया। ट्रस्ट द्वारा स्वामी जी के इच्छा के अनुरूप रायपुर में विवेकानन्द विद्यापीठ की स्थापना एवं विविध परोपकारी गतिविधियों के संचालन हेतु शासन को जमीन आबंटन हेतु प्रस्ताव भेजा गया। अविभाजित मध्यप्रदेश शासन द्वारा रामकृष्ण परमहंस नगर, कोटा, रायपुर में 5.473 हेक्टेयर भूखण्ड स्थाई पट्टे पर निःशुल्क प्रदान किया गया। उक्त भूमि पर ट्रस्ट के द्वारा विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। पूरा विद्यापीठ परिसर वृक्षों की हरियाली एवं पुष्पों की सुंदरता से आच्छादित है तथा पढ़ने और पढ़ाने के लिए एक अपूर्व वातावरण प्रदान कर रहा है। इस प्रकार विवेकानन्द विद्यापीठ, रायपुर के स्थापना के पीछे स्वामी आत्मानन्द जी के उस इच्छा का महत्त्वपूर्ण योगदान है।